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अक्षय गौरव | अप्रैल – जून, 2019 के इस अंक मे
पद्य खंड
शीर्षक / रचनाकार
1. कंदुक / कौशलेन्द्र (कौशल किशोर मिश्र)
2. झूला / शुभा मेहता
3. काश! / सुधा सिंह
4. सत्य आज का / डॉ. रेखा सिन्हा
5. देखो फिर से मानवता शर्मसार हुई / डॉ.(श्रीमती) ललिता यादव
6. शहर के पेड़ से उदास लगते हो... (नज़्म ) / मोहित शर्मा ‘ज़हन’
7.कहीं से तू दे आवाज़... /श्वेता सिंह
8. पन्नों में दबी एक रूमानी कहानी (हाइकु गीत) / साधना वैद
9. पेड़ ने पूछा चिड़िया से / रेणुबाला
10आरी और वृक्ष-हत्यारे / रवीन्द्र सिंह यादव
11. कब हो सवेरा / पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
12. अपने हिस्से की मुस्कान / अनीता लागुरी ‘अनु’
13. माँ (सार छंद) / महेंद्र देवांगन ‘माटी’
14. बँधुआ सूरज को छुड़ाते हुए / डॉ. मनोहर अभय
15.कामना / डॉ. विदुषी शर्मा
16. रहस्य / गीतांजलि वार्ष्णेय
17. ठंड में माँ / रंगनाथ द्विवेदी
18. एक चेतावनी / शशि भूषण
19. सारे सपने जीवन के जब आँसू में ही बह जाए / विज्ञा तिवारी ‘स्वयं’
20. तभी तो फ़ौजी कहलाता हूँ / आनन्द सिंह शेखावत
21.विदाई / नीरज त्यागी
22. पुष्प तुमको कर रहा हूं, साधना के मैं समर्पित / विजय कुमार मिश्रा
गद्य खंड
23. साम्यवादी मूल्यों की स्थापना- (संस्मरण / व्यंग) / गोपेश मोहन जैसवाल
24. सज़ा या रिहाई (कहानी) / देवी नागरानी
25.आलोचना की संस्कृति (लेख) / विश्वमोहन
26. अपहृत क्राँति की फिरौती नहीं होती (लेख) / कौशलेन्द्र (कौशल किशोर मिश्र)
27. ईदगाह– समीक्षा / साधना वैद
28. बदलते शहर, बदलती बाग़वानी (लेख) / डॉ. नवल्दे भारती
29.10वीं-11वीं सदी के साँस्कृतिक गौरव सम्राट भोज परमार का तथ्यों सहित वर्णन करती विजय नाहर की पुस्तक समीक्षा / रूद्र प्रताप गुज्जर
30. डायनासोर होता आँचल (लेख) / सुबोध कुमार सिन्हा
31. झूठ को सच हमेशा बताना पड़ा / बलजीत बेनाम
32. ‘एकलव्य’ के व्यंग्य / ध्रुव सिंह ‘एकलव्य’
33. मानव शरीर के लिये प्रकृति का अनमोल वरदान (लेख) / डॉ. विनोद गौतम
34. नेताजी का भाषण (व्यंग्य) / धर्मेन्दर कुमार